भव्यता के साथ पारंपरिक रूप से होगा शिवरात्रि का शाही स्नान-श्रीमहंत नरेंद्र गिरी

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने एसओपी सरल किए जाने की महामण्डलेश्वरों की मांग का किया समर्थन

 हरिद्वार समाचार-अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा है कि 11 मार्च को महाशिवरात्रि का स्नान सातों संयासी अखाड़े परंपरागत रूप से भव्यता के साथ करेंगे। इसके लिए अखाड़ों की बैठक हो चुकी है। स्नान की रूपरेखा भी तैयार हो चुकी है। स्नान के दौरान अखाड़ों में आपसी सामंजस्य बना रहे इसके लिए एक निर्णायक अंतिम बैठक होनी बाकी है। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने प्रैस को जारी बयान में बताया कि अखाड़े अपर रोड़ होते हरकी पैड़ी पर स्नान के लिए पहुंचेंगे। स्नान के पश्चात इसी रूट से वापस अखाड़ों में प्रवेश करेंगे। श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने बताया शिवरात्रि पर प्रथम अखाड़े के रूप में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा स्नान करेगा। इसके बाद श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी एवं अन्य अखाड़े स्नान करेंगे। लेकिन 12, 14 व 27 अप्रैल को होने वाले अन्य शाही स्नानों में श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी सबसे पहले स्नान करेगा। उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि का स्नान वैभवपूर्ण होगा। शिवरात्रि स्नान के दौरान अखाड़ों के नागा सन्यासी आकर्षण का मुख्य केंद्र होंगे। हालांकि शिवरात्रि पर्व पर अधिकतर संत अपने मठ मंदिरों में मौजूद रहते हैं। इसलिए स्नान में संतों की संख्या कम रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार व कानूनी बाधाओं के चलते कुंभ की तैयारियों में कमी आयी है। इसके बावजूद अखाड़े अपने पारंपरिक रूप में ही कंुभ मेले के स्नान करेंगे। श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने बताया कि पूरी दुनिया कोरोना से त्रस्त है। लेकिन भारत त्रस्त नहीं है। भारत में वृहद स्तर पर कोरोना वैक्सीनेसन का कार्य भी चल रहा है। जिससे कोरोना भाग रहा है। सभी संत महापुरूषों का भी संकल्प है कि पूरी दुनिया से कोरोना महामारी समाप्त हो। इसके लिए संत समाज कामना करता है। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने एसओपी सरल किए जाने की महामण्डलेश्वरों की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि अखाड़ा परिषद पहले ही सरकार के समक्ष एसओपी के सरलीकरण की मांग कर चुका है। सभी संत पूज्यनीय हैं। प्रत्येक संत अथवा व्यक्ति को अपनी बात रखने का पूर्ण अधिकार है। सरकार को संतों की मांग को गंभीरता से लेते एसओपी में संशोधन कर सरल बनाना चाहिएं जिससे अधिक संख्या में श्रद्धालुजन कुंभ स्नान का लाभ उठा सकें।

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