हरिद्वार– महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा भवसागर की वैतरणी है जो व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटाकर उसके बैकुंठ का मार्ग प्रशस्त करती है। जो श्रद्धालु भक्त श्रद्धा पूर्वक श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण कर लेते हैं। उनका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। भारत माता पुरम स्थित एकादश रुद्र पीठ आश्रम में श्री हनुमान सत्संग धाम सेवा समिति ग्वालियर द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के शुभारंभ पर बतौर मुख्य अतिथि श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड की पावन धरा गंगा द्वार हरिद्वार पर कथा श्रवण का अवसर सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही प्राप्त होता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को समय निकालकर कथा श्रवण अवश्य करनी चाहिए। कथा व्यास महामंडलेश्वर राजगुरु स्वामी संतोषानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा मोक्षदायिनी है। जिसके श्रवण से राजा परीक्षित को भी मोक्ष की प्राप्ति हुई थी और कलयुग में भी इसके साक्षात प्रमाण देखने को मिलते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा में सभी ग्रंथों का सार निहित है। जो व्यक्ति की आत्मा का परमात्मा से मिलन कराता है। राजगुरु स्वामी संतोषानंद महाराज ने कहा कि धर्म के संरक्षण संवर्धन में संत महापुरुषों की अहम भूमिका है और महापुरुषों से प्राप्त ज्ञान के द्वारा व्यक्ति को सतकर्मों की ओर अग्रसर रह कर अपने कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। यही श्रीमद् भागवत कथा के ज्ञान का मूल उद्देश्य है। इस अवसर पर युवराज वर्मा, पंकज भाटी, कविता राज डंडोतिया, आशा देवी, राधेश्याम शर्मा, हरिमोहन शर्मा, सतीश पाराशर, राम लखन शर्मा, संतराम भट्ट, रविंद्र भट्ट, आनंद सिंह तोमर, सुरेंद्र अग्रवाल, जगतगुरु आनंदेश्वर महाराज, सुरेंद्र शर्मा, धर्मेंद्र शर्मा, प्रदीप कुमार, अनुपमा सिंह डंडोतिया सहित कई श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे।

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