हरिद्वार–  तुलसी पूजन दिवस के अवसर पर मायापुर स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में संतो ने तुलसी के पौधे की विधान पूर्वक पूजा अर्चना कर विश्व कल्याण की कामना की। इस अवसर पर बाघम्बरी पीठाधीश्वर श्रीमहंत बलवीर गिरी महाराज ने कहा कि कार्तिक मास में तुलसी माता के पूजन का विशेष महत्व होता है। जिन घरों में तुलसी का पौधा होता है। वहां भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का आनंद प्राप्त होता है और ब्रह्मा जी एवं लक्ष्मी माता संपूर्ण देवताओं के साथ विराजमान होते हैं। तुलसी की पूजा अनंत गुना फल प्रदान करने वाली है। तुलसी का वृक्ष लगाने, स्पर्श और गुणगान करने से मनुष्य के पूर्व जन्मार्जित पाप नष्ट हो जाते हैं। क्योंकि तुलसी की उपस्थिति मात्र से नकारात्मक शक्तियों एवं दुष्ट विचारों से रक्षा होती है। जो व्यक्ति तुलसी की पूजा करके तुलसी के आठ नामाष्टक का पाठ करता है। उसे अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में माता तुलसी का पूजन दिवस उत्साह के साथ मनाया जाता है। युवा पीढ़ी को पाश्चात्य संस्कृति का त्याग कर सनातन धर्म और उससे जुड़ी मान्यताओं को अपनाना चाहिए। श्रीमहंत हरगोविंदपुरी महाराज ने कहा कि देश में तुलसी के पौधे का धार्मिक आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रूप से बहुत ज्यादा महत्व है। तुलसी का पौधा प्राणवायु ऑक्सीजन 24 घंटे प्रदान करता है। हमारे देश में आज भी अनगिनत भारतीय तुलसी का प्रातः सेवन कर निरोगी और दीर्घायु जीवन जी रहे हैं। पूरा विश्व आज सनातन संस्कृति का अनुसरण कर रहा है। पूरे विश्व के मानव निरोगी एवं स्वस्थ रहें। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु तुलसी पूजन दिवस मनाया जाता है। घर में हरी भरी तुलसी सुख समृद्धि और सौभाग्य का सूचक है और साथ ही यह परिवार की आर्थिक स्थिति के लिए भी शुभ माना जाता है। तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह होता है और व्यक्ति की आयु बढ़ती है। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने कहा कि तुलसी का पूजन करने वाले परिवारों पर सदैव मां लक्ष्मी की कृपा अपार रूप से बनी रहती है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को शामिल किया जाता है। तुलसी का पूजन स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदायक है। धार्मिक अनुष्ठान और यज्ञ जैसे शुभ कार्यों में तुलसी का एक पत्ता भी महान पुण्य प्रदान करने वाला है। तुलसी ग्रहण करके मनुष्य पातकों से नष्ट हो जाता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में तुलसी पूजा पौराणिक काल से ही होती चली आ रही है। सौभाग्य बढ़ाने वाली और मन के दुख और शरीर के रोग दूर करने वाली तुलसी माता को हम प्रणाम करते हैं। महंत केशवपुरी महाराज ने कहा कि तुलसी पूजन दिवस पर तुलसी माता का विधान पूर्वक पूजा करना वरदान तुल्य साबित होता है। भारत में ही नहीं अपितु विश्व के कई देशों में माता तुलसी को पूजा जाता है। तुलसी पूजन से बुद्धि बल मनोबल एवं आरोग्य बल बढ़ता है और मानसिक अवसाद दूर होता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से तुलसी मानव के लिए वरदान से कम नहीं है। सभी को मंदिरों एवं घरों में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए। क्योंकि यह सर्व दोष निवारक औषधि सर्व सुलभ तथा सर्व उपयोगी है। इस अवसर पर दिगंबर गंगागिरी, दिगंबर राजगिरी, स्वामी रवि वन, दिगंबर आशुतोष पुरी, दिगम्बर कृष्णा गिरी, दिगम्बर विजय पुरी, आचार्य ज्ञानेंद्र मिश्रा, आचार्य कृष्ण तिवारी, आचार्य शुभम तिवारी, आचार्य शैलेष तिवारी, स्वामी रघु वन, स्वामी मधुर वन सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।

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