हरिद्वार समाचार– श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने राज्य सरकार से कोरोना गाइडलाइन का पालन कराते हुए चार धाम यात्रा एवं कांवड़ मेला प्रारंभ कराने की मांग की है। कनखल स्थित अखाड़े में प्रेस को जारी बयान में श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि कोरोना का प्रभाव दिन प्रतिदिन घटता जा रहा है। ऐसे में सरकार को केंद्र सरकार की गाइड लाइन का पालन कराते हुए और श्रद्धालु भक्तों की आस्था को दृष्टिगत रखते हुए चारधाम एवं कांवड़ यात्रा को नियम पूर्वक प्रारंभ कर देना चाहिए। धार्मिक स्थल, मठ मंदिर अखाड़े श्रद्धालुओं से मिलने वाले दान से ही संचालित होते हैं। ऐसे में यात्रियों का आवागमन देवभूमि उत्तराखंड में होना अति आवश्यक है। जिससे अखाड़े आश्रमों का संचालन सुचारू रूप से हो सके। उन्होंने कहा कि छोटे मठ मंदिर लंबे समय से कोरोना की मार को झेल रहे हैं और उनकी आय भी शून्य हो चुकी है। ऐसे में सरकार को व्यापारी एवं संत समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए ठोस निर्णय लेकर यात्रा खोल देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्मसत्ता के बिना राजसत्ता अधूरी है। धर्म से जुड़े मामलों में सरकार को संतों की राय लेनी चाहिए। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि कोरोना धीरे धीरे कम हो रहा है। केंद्र एवं राज्य सरकार को अपना कुशल नेतृत्व दिखाते हुए चारधाम यात्रा व कांवड़ यात्रा को प्रारम्भ किया जाए। देश के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु भक्त देवभूमि में पहुंचते हैं। लोगों की मनोकामनाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार को नियमों के तहत दोनों यात्राओं का संचालन करना चाहिए। कोरोना के प्रति लोगों में अब जागरूकता भी बढ़ी है। उचित दूरी, मूंह पर मास्क, सेनेटाइजर का इस्तेमाल लोग कर रहे हैं। धार्मिक यात्राओं पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए। लाखों लोगों का रोजगार चारधाम यात्रा व कांवड़ यात्रा पर निर्भर है। दो वर्षो से लगातार व्यापारी मंदी की मार झेल रहे हैं। मठ मंदिर व पौराणिक सिद्ध पीठों के संचालक व प्रबंधक भी यात्रा संचालित किए जाने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सरकार को बड़ा दिल दिखाते हुए यात्रा को प्रारंभ करना चाहिए। इस दौरान महंत सतनाम सिंह, संत हरजोध सिंह, संत जसकरण सिंह, महंत अमनदीप सिंह, संत सुखमन सिंह, संत तलविन्दर सिंह, संत निर्भय सिंह, संत जनरैल सिंह, संत रोहित सिंह, बाबा गुरजीत सिंह, संत शशिकांत सिंह, संत विष्णुसिंह आदि मौजूद रहे।

 

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