हरिद्वार समाचार– संतों व तीर्थ पुरोहित समाज ने सरकार से तत्काल देवस्थानम् बोर्ड निरस्त करने की मांग की। हरकी पैड़ी पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़े के सचिव महंत गोविन्द दास महाराज ने कहा कि आदि अनादि काल से मठ मंदिरों का संचालन संतों व तीर्थ पुरोहित समाज द्वारा किया जा रहा है। सदियों से चली आ रही व्यवस्था में सरकारों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि केद्र व राज्य सरकार अधिग्रहित किए गए मठ मंदिरों को मुक्त करे तथा उत्तराखण्ड में गठित किए देवस्थानम् बोर्ड को तत्काल निरस्त किया जाए। श्री गंगा सभा अध्यक्ष प्रदीप झा ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड के विरोध में लंबे समय से तीर्थ पुरोहित समाज आंदोलन कर रहा है। देवस्थानम् बोर्ड के गठन से तीर्थ पुरोहितों के साथ श्रद्धालु भक्तों की भावनाओं को भी ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि मठ मंदिरों का बेहतर संचालन तीर्थ पुरोहितों के द्वारा ही किया जा सकता है। सरकार को तुरंत बोर्ड के गठन को निरस्त करना चाहिए। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि देवस्थानम् बोर्ड व मठ मंदिरों का अधिग्रहण संतों व पुरोहितों के लिए एक अभिशाप की तरह है। अनादि काल से चली आ रही परंपरांओं में हस्तक्षेप करने के बजाए सरकारों को मठ मंदिरों के विकास में सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद व संत समाज लगातार देवस्थानम् बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहे हैं। सरकार को संतों व पुरोहितों की भावनाओं का सम्मान करते हुए तत्काल बोर्ड का गठन निरस्त करना चाहिए। ज्वालापुर विधायक सुरेश राठौर ने कहा कि भाजपा सरकार संतों व पुरोहितों का पूरा सम्मान करते हैं। संतों व पुरोहितों की भावनाओं का सम्मान रखते हुए देवस्थानम् बोर्ड के संबंध में सरकार शीघ्र ही निर्णय लेगी। स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी दिनेश दास महाराज ने भी सरकार से जल्द से जल्द देवस्थानम् बोर्ड निरस्त करने व अधिग्रहित किए गए मठ मंदिरों को मुक्त करने की मांग की।

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