हरिद्वार समाचार-श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व अखाड़े व अखाड़े की एक्कड़ कला स्थित शाखा पर अवैध रूप से कब्जा कर संपत्ति को खुर्दबुर्द करना चाहते हैं। जिसे कभी कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। कनखल स्थित अखाड़े में पत्रकारों को जानकारी देते हुए महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि निर्मल अखाड़ा निर्मल संप्रदाय की प्रमुख संस्था है। जिसका संचालन नियमों उपनियमों के तहत किया जाता है। श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज अखाड़े के अध्यक्ष हैं। देश के विभिन्न राज्यों में अखाड़े की शाखाएं स्थित हैं। देश का समस्त निर्मल संप्रदाय श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज के नेतृत्व में एकजुट है। लेकिन कुछ असामाजिक तत्व षड़यंत्र के तहत अखाड़े पर कब्जा करना चाहते हैं। कुछ स्थानीय संत भी कब्जे की फिराक में लगे असामाजिक तत्वों का सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद व निर्मल अखाड़े के पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर उन्हें सभी तथ्यों से अवगत कराया है तथा कब्जे की फिराक में लगे असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई की मांग की है। जिस पर मुख्यमंत्री ने अखाड़े को पूर्ण सुरक्षा उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि कब्जे की फिराक में लगे सभी असामाजिक तत्वों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा व उत्तराखण्ड के बाजपुर में आपराधिक मुकद्मे भी दर्ज हैं। पुलिस प्रशासन को इसे गंभीरता से लेते हुए कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। इन असामाजिक तत्वों ने पूर्व में भी संस्था की एक्कड़ कला शाखा पर कब्जा करने का प्रयास किया था। जिसे अखाड़ा परिषद व संत समाज के सहयोग से नाकाम कर दिया गया था। महंत परमिन्दर सिंह व महंत सतनाम सिंह ने कहा कि अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज के नेतृत्व में अखाड़ा धार्मिक व सामाजिक सेवा में योगदान कर रहा है। अखाड़े के सभी संत तन, मन, धन से श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज के साथ हैं। असामाजिक तत्वो के मंसूबों को कभी कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। बाबा हठयोगी व महंत रघुवीर दास ने कहा कि निर्मल अखाड़े पर अवैध कब्जे के प्रयास को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। धर्मनगरी का माहौल बिगाड़ने वालों को कतई सहन नहीं किया जाएगा। असामाजिक तत्वों व उनका सहयोग कर रहे संतों का अखाड़ा परिषद पुरजोर विरोध करेगा। इस दौरान महंत सुखजीत सिंह, महंत अमनदीप सिंह, संत सुखप्रीत सिंह, महंत निर्भय सिंह, संत गज्जन सिंह ज्ञानी, महंत खेम सिंह, संत जसकरण सिंह, संत भूपेंद्र सिंह, संत हरजोध सिंह, संत जरनैल सिंह, संत गुरजीत सिंह, संत तलविंदर सिंह, संत विष्णु सिंह आदि उपस्थित रहे।

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