हरिद्वार समाचार- श्री पंच दशनाम् अवाहन अखाड़े के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमंहत सत्यगिरि महाराज ने कहा है कि मेला प्रशासन उत्तरी हरिद्वार के संत बाहुल्य भीमगोड़ा, खड़खड़ी, भूपतवाला, सप्तऋषि आदि इलाकों की उपेक्षा कर रहा है। भूपतवाला स्थित अखाड़े में प्रेस को जारी बयान मंे उन्होने कहा कि प्रशासन द्वारा अखाड़ो को जमीन आवंटन कर मूलभूत सुविधायें प्रदान करनी चाहिए। सभी अखाड़ो में सफाई कर्मचारियों की तैनाती की जाये। कुंभ मेला शुरू होने का समय लगातार नजदीक आ रहा है। संत बाहुल्य क्षेत्र के होने के बावजूद उत्तरी हरिद्वार में अभी तक घाटों के निर्माण व सौन्दर्यकरण का कार्य शुरू नहीं हुआ है। और कुम्भ मेला कार्यो की गति बेहद सुस्त है सड़कों की हालत भी बेहद खराब है। सूखी नदी पर पुल के निर्माण के चलते लोगों को आने जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पूरे क्षेत्र में दिन भर जाम की स्थिति बनी रहती है। श्रीमंहत सत्यगिरि महाराज ने कहा कि कुंभ मेला हो या कांवड़ मेला भीड़ का सर्वाधिक दबाव उत्तरी हरिद्वार में ही पड़ता है। ऐसे में मेला प्रशासन को सबसे पहले उत्तरी हरिद्वार में पुराने घाटों का सौन्दर्यकरण व मरम्मत, नए घाटों, सड़कों, पुलों का निर्माण सबसे पहले कराना चाहिए था। मेला प्रशासन की ढिलाई व विभिन्न कार्यदायी एजेंसियों के मध्य आपसी समन्वय की कमी के चलते समस्याएं दूर होने के बजाए बढ़ती ही जा रही है। भूमिगत बिजली, गैस, दूरसंचार कंपनियों की केबल बिछाने के लिए खोदी गयी सड़कों की अभी तक मरम्मत तक नहीं हो पायी है। खुदी पड़ी सड़कों में गहरे गड्ढे बन गए हैं, जो दुघर्टनाओं को दावत दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस गति से कुंभ मेला कार्यो हो रहे हैं। उसे देखते हुए कुंभ मेले को लेकर सरकार व मेला प्रशासन की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। मेला प्रशासन को करोना महामारी को मुद्दा न बनकार कुम्भ मेले से जुड़ी सभी तैयारियां पूरी करनी चाहिए। खुदी पड़ी सड़कों पर दिनभर धूल उड़ती रहती है। जिससे क्षेत्र में रहने वाले लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि कंुभ मेला कार्यो को जल्द से जल्द पूरा नहीं किया गया तो संत समाज सड़कों पर उतरने का विवश होगा। संरक्षक मंहत नीलकंठ गिरि महाराज ने बताया कि रविवार को अखाड़े का भूमि पूजन सभी संत महापुरूषो के सानिध्य में किया जायेगा। इस दौरान थानापति मंहत शंकरपुरी व मंहत कर्णगिरि महाराज भी उपस्थिति रहे।

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