हरिद्वार-दिनांक 26.05.22 को रात्रि में कोतवाली रानीपुर क्षेत्रान्तर्गत शिवालिक नगर गश्त के दौरान चेतक ड्यूटी में तैनात पुलिस कर्मियो कां0 454 विजयपाल, कां० 252 प्रीतपाल पर कुछ अज्ञात बदमाशो द्वारा उस वक्त जानलेवा हमला किया गया जब उन संदिग्ध अभियुक्तगणों को ड्यूटीरत पुलिस कर्मचारीगण द्वारा अपराध करते वक्त संदिग्ध अवस्था में पकड़ा गया था हमलावर बदमाश पुलिस कर्मचारियो से अपने सहअपराधियों को भी छुड़ाकर ले गये एवं ड्यूटीरत पुलिस कर्मचारीगणों पर जानलेवा हमला कर गम्भीर चोट पहुँचाई थी जिसमें कां0 252 प्रीतपाल को बांयी आँख में गम्भीर चोट आयी। चोट की प्रकृति इतनी गम्भीर थी कि ईलाज के दौरान भी आरक्षी उपरोक्त की आँख को बचाया नहीं जा सका। चूंकि घटना दुस्साहसिक एंव गम्भीर प्रकृति की थी जिसे जनपद हरिद्वार पुलिस द्वारा चुनौती के रूप में स्वीकार किया। उपरोक्त घटना के अनावरण हेतु जनपद हरिद्वार के पुलिस उपमहानिरीक्षक/ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक  द्वारा पुलिस अधीक्षक अपराध एंव पुलिस अधीक्षक नगर एवं क्षेत्राधिकारी सदर व क्षेत्राधिकारी नगर को घटना के शीघ्र अनावरण हेतु निर्देशित किया गया। जिस हेतु पुलिस अधीक्षक नगर के कुशल निर्देशन में पुलिस टीमो का गठन किया गया । जिसमें जनपद स्तर पर CIU हरिद्वार एंव आस- पास के थानो की कई पुलिस टीमों का गठन किया गया । उपरोक्त घटना के प्रारम्भिक अन्वेषण व तकनिकी विश्लेषण के उपरान्त अपराधियों के सीसीटीवी फुटेज भी उपलब्ध हुये जिसमें माह अप्रैल एंव मई में थाना कनखल क्षेत्र में कुछ जघन्य अपराधों में भी अभियुक्तगणो की संलिप्ता दृष्टीगोचर हुई है, और पुलिस टीम को यह भी जानकारी प्राप्त हुई कि उपरोक्त गेंग खानाबदोश पारदी जाति के कुख्यात गैंग से ताल्लुकात रखते है, जो पूरे भारत वर्ष में गम्भीर घटना किये जाने के लिये कुख्यात माने जाते है। पुलिस उपमहानिरीक्षक/ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय हरिद्वार द्वारा उपरोक्त प्रकरण मे वांछित अभियुक्तो गणो की शीघ्र गिरफ्तारी एंव अनावरण हेतु प्रत्येक पर 25000/- 25000 रु० का ईनाम घोषित किया गया। पुलिस टीम द्वारा अभियुक्तगणो की पतारसी- सुरागरसी एंव धरपकड हेतु उ०प्र०, दिल्ली, मध्यप्रदेश, गुजरात आदि अनेको सम्भावित स्थानो पर दिन –रात मेहनत कर अभियुक्तगणों की जानकारी प्राप्त की गयी जिसमें इस बात की जानकारी भी प्राप्त हुई कि गैंग से जुड़े सदस्य हरिद्वार में भी अक्सर मेलो में अपराध करने की नीयत से आते जाते रहते है जो कि घाटों, पार्किंग, सडक किनारे आदि स्थानो पर अस्थायी ठिकाने (तम्बू) बनाकर रहते है और अपराध करने के उपरान्त उक्त स्थान को छोड़ कर चले जाते हैं। दिनांक 03/06/22 को पुष्ट सूचना के आधार पर जनपद में गठित पुलिस टीम द्वारा जनपद हरिद्वार की घटनाओ से सम्बन्धित उपरोक्त गेंग के 05 सदस्यों को पन्तद्वीप पार्किंग के पास से रात्रि समय करीब 10.30 बजे के आस पास वृहद मात्रा में माल सहित गिरफ्तार किया गया जिनसे पूछताछ में जनपद के 06 अभियोगो जिसमें मुख्य रूप से कोतवाली रानीपुर से सम्बन्धित पुलिस टीम पर हमला एंव दिनांक 06/04/22 मे सरस्वती विद्या मन्दिर में हुई चोरी एंव थाना कनखल क्षेत्र अधिवक्ता मनीष मेहता के घर हुई लाखो की चोरी व कनखल की दो अन्य चोरीयो के साथ- साथ थाना सिडकुल एक चोरी के अभियोग का भी खुलासा हुआ, एंव गैंग के 02 सदस्य वर्तमान समय तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर से जिनके सम्बन्ध में अहम सूचना मिली है जिनके लिए पुलिस टीम प्रयासरत हैं। चूंकि गिरफ्तार शुदा अभियुक्तगणो का अपराध क्षेत्र सम्पूर्ण भारत वर्ष मे है। जिनके सम्बन्ध में उपलब्ध आपराधिक इतिहास के अतिरिक्त अन्य अपराधो की भी जानकारी प्राप्त की जा रही है।

          उक्त अपराधी पारदी जनजाति के खानाबदोश लोग है जिनका कोई स्थाई ठिकाना नहीं है तथा ये लोग मूलतः मध्य प्रदेश के उज्जैन, गुना, ग्वालियर व मंदसौर के आस पास के रहने वाले है। इनका अपराध करने का अपना एक अलग ही तरीका होता है। ये लोग अपने परिवार की औरतो व बच्चो के साथ अलग-2 राज्यों में बड़े बड़े धार्मिक स्थलो. रेलवे स्टेशनो व बस अड्डों के आस पास अस्थाई रूप से बिछौना डालकर रहना शुरू करते है तथा दिखावे की खातिर दिन के समय बच्चो के खिलौने व गुब्बारे आदि बेचने का काम करते है। इसी दौरान दिन के समय में ही ये बैट्री रिक्शा व पैदल पॉश कॉलोनियों जाकर रैकी कर अधिकांश ऐसे घरो को टारगेट कर चोरी की घटनाओ को अन्जाम देते हैं, जो बन्द हो या जिनमे कोई बुजुर्ग दम्पति रहते हो। घटना के समय ये लोग पिठ्ठु बैग अपने साथ में लेकर चलते है। जिसमे पाना, रिन्च, गुलेल तथा कपड़े रखते हैं। पाना व रिन्च का प्रयोग ये लोग ताला तोड़ने में करते हैं कुत्तो को भगाने व आत्मरक्षा के लिए गुलेल का प्रयोग करते हैं और पहचान छुपाने के लिए घटना के बाद कपडे बदल लेते है। ये इतने शातिर होते हैं के घटना के समय मोबाईल फोन का प्रयोग नहीं करते और मोबाईल फोन भी अपनी औरतो के पास रखते हैं। घटना के बाद चोरी के माल को गढढो मे गाड़ देते हैं तथा जेवरात को बेचने का काम अधिकांशतः इनकी औरते करती है। जब किसी घटना मे इन्हें अच्छा जेवरात और नकदी मिल जाता है तो ये तुरन्त स्थान बदल देते है और माल का आपस मे बंटवारा कर दूरस्थ स्थानो पर अलग-अलग सिफ्ट हो जाते है। ये लोग चोरी करने के लिए जो पार्टी बनाते है उसमे ये लोग एक जगह के ना होकर अलग – 2 स्थानो / शहरों के ऐसे सदस्यों को रखते है जो इनके सगे सम्बन्धी होते हैं। ऐसे में किसी एक के पकड़े जाने पर इनके परिवार के सदस्य अन्य सभी को मोबाईल फोन आदि से सूचित कर देते हैं। जिससे अन्य अभियुक्त आसानी से फरार हो जाते है और उन्हे पकडना बड़ा मुश्किल हो जाता है। ये लोग मौकाप्रस्त होते है चोरी के अलावा मेले ठेलो में उठाईगिरी व जेब काटने की घटनाओं को भी अंजाम देते है। इन सभी का लोगों का एक अर्न्तराज्य गिरोह है जिनका उत्तराखण्ड के अतिरिक्त उ०प्र० राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र तथा राजस्थान आदि राज्यो मे अपना नेटवर्क फैला है। इनके द्वारा जिस क्षेत्र मे भी अपराध किया जाता उस क्षेत्र मे घटना से पूर्व रैकी करने के लिये कुनबे सहित आते है,एवं पार्किंग घाट या सड़क किनारे डेरा डालते है । इनकी महिलाएं फूल , प्लास्टिक का सामान आदि बेचने का कार्य करती है । अभियुक्तगण दिन के समय मे रैकी करते है । कोई सा भई घर चिन्हित करने के उपरान्त रात्रि मे घटना को अऩ्जाम देते है । घटना के बाद कभी कभार अपने ठिकानो पर मध्यप्रदेश आदि स्थानो पर वापस लौट जाते है ।

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